एक IAS, जिसने असफलता शब्द के मायने ही बदल दिए, स्कूल में फेल होने के बाद लिखी कामयाबी की दास्तानएक IAS, जिसने असफलता शब्द के मायने ही बदल दिए, स्कूल में फेल होने के बाद लिखी कामयाबी की दास्तान

अंजू शर्मा ने 10वीं और 12वीं में फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और UPSC परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर ली. उनकी सफलता की कहानी एक प्रेरणा है, जो बताती है कि असफलता अंत नहीं है.

किसी काम में असफल होने का मतलब यह नहीं कि जिंदगी खत्म हो गई और प्रयास करना छोड़ दिया जाए. कहते हैं मन के हारे हार और मन के जीते जीत है. पिछले दिनों अभिनेता विक्रांत मैसी की एक फिल्म आई थी 12वीं फेल, जो मध्य प्रदेश के रहने वाले एक आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की सच्ची कहानी पर आधारित थी. मनोज की कहानी तो फिल्म के जरिए सबके सामने आ गई पर देश में न जाने कितने ऐसे लोग हैं, जिन्होंने तमाम हार और फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने अथक प्रयास से सफलता मिसाल पेश की. ऐसा ही एक नाम है आईएएस अंजू शर्मा का.

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फेल होकर सीखा ऐसा सबक कि सब दंग रह गए

अंजू शर्मा ने अपनी सफलता की कहानी खुद गढ़ी है. असफलता, फेल, नाकामी जैसे शब्दों को मिटा कर सफलता, पास, कामयाबी में बदलने वाली अंजू शर्मा ने करियर में उन ऊंचाइयों को छू लिया जो अपने आप को साधारण सा मानने  वालों के लिए बहुत मुश्किल काम लगता है. यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम (UPSC) हमारे देश में कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. पर बताते हैं कि 10 वीं और 12 में फेल होने के बाद अपनी मेहनत लगन और हार न मानने की जिद ने अंजू शर्मा को आईएएस बना दिया.

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सुर्खियों में छा गईं

बात सन् 1991 की है. अंजू शर्मा नाम की 22 वर्षीय एक युवती यूपीएससी एग्जाम पास कर राजकोट में असिस्टेंट कलेक्टर बनीं. खबरों और न्यूज पेपर की सुर्खियों में छाई इस युवती की सफलता की इबारत जब लोगों ने सुनी तो दंग रह गये. गुजरात कैडर की आईएएस बनीं अंजू ने बताया कि उन्होंने कभी हार से हार नहीं मानी. वह 12वीं में अर्थशास्त्र विषय में फेल हो गईं थीं. और 10वीं की प्री बोर्ड परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थी.

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हालांकि अन्य विषयों में उनको डिक्टेशन मिली थी. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि मैंने घबराने या परेशान होने के बजाय पढ़ाई को गंभीरता से लिया और तैयारियों पर फोकस किया. इस दौरान उनकी मां उनको मोटिवेट करती रहीं. उन्होंने कहा एक बार फेल हो जाने पर निराश होने के बजाय उससे सीख लें. फिर क्या था मेहनत, लगन और कुछ कर गुजरने की जिद ने सफलता के वो मुकाम हासिल करा दिये जो कल्पना से भी परे थे.

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पहली बार में क्लीयर कर दी आईएएस की परीक्षा

उनके जानकार कहते हैं कि अंजू को समझ में आ गया था कि उनकी पढ़ाई की स्ट्रैटेजी सही नहीं है. इसीलिए कॉलेज में उन्होंने शुरुआत से ही पढ़ाई पर फोकस किया. फिर मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कॉलेज ज्वाइन किया और यही नहीं कॉलेज में गोल्ड मेडल जीता. जयपुर से उन्होंने बीएससी और एमबीए की स्टडी की. इसके बाद अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई के साथ ही UPSC की तैयारी भी शुरू कर दी. 22 की उम्र में UPSC परीक्षा फर्स्ट अटेम्ट में पास कर ली. पहली पोस्टिंग राजकोट में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर मिली. फिर गांधीनगर में कलेक्टर बनीं और अब शिक्षा विभाग के उच्च और तकनीकी शिक्षा सचिवालय गांधीनगर में प्रधान सचिव हैं.

Tags :EducationIAS Success Story

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